सर्वनामिक विशेषण
हिंदी व्याकरण में विशेषण एक महत्वपूर्ण अंग है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। विशेषण वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव की विशेषता, गुण, संख्या, परिमाण या स्थिति को प्रकट करता है। विशेषण के अनेक प्रकार होते हैं, जिनमें से एक प्रमुख प्रकार है सर्वनामिक विशेषण। यह विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं और वाक्य में संज्ञा की विशेषता बताने का कार्य करते हैं। सर्वनामिक विशेषण को समझना हिंदी भाषा में स्पष्ट और प्रभावी संवाद के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सर्वनामिक विशेषण की परिभाषा
वैज्ञानिक परिभाषा
सर्वनामिक विशेषण वे विशेषण हैं जो सर्वनाम शब्दों से बनते हैं और संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता प्रकट करते हैं। जब सर्वनाम शब्द किसी संज्ञा की विशेषता बताने के लिए प्रयुक्त होते हैं, तो वे सर्वनाम न रहकर सर्वनामिक विशेषण बन जाते हैं।
विद्वानों की परिभाषा
प्रसिद्ध हिंदी व्याकरणाचार्य डॉ. रामचंद्र वर्मा के अनुसार: "जब सर्वनाम शब्द संज्ञा के स्थान पर न आकर उसके साथ आए और उसकी विशेषता बताए, तो वह सर्वनामिक विशेषण कहलाता है।"
सरल शब्दों में कहें तो - सर्वनाम + संज्ञा = सर्वनामिक विशेषण
सर्वनामिक विशेषण का निर्माण और वर्गीकरण
सर्वनाम से विशेषण का रूपांतरण
सर्वनामिक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं। जब निम्नलिखित सर्वनाम शब्द संज्ञा के पहले आकर उनकी विशेषता बताते हैं, तो वे सर्वनामिक विशेषण कहलाते हैं:
निश्चयवाचक सर्वनाम से: यह, वह, ये, वे
अनिश्चयवाचक सर्वनाम से: कोई, कुछ
प्रश्नवाचक सर्वनाम से: कौन, क्या
संबंधवाचक सर्वनाम से: जो, सो
अन्य विशेषणों से अंतर
संज्ञावाचक विशेषण से अंतर: संज्ञावाचक विशेषण संज्ञा शब्दों से बनते हैं (जैसे: भारतीय, दिल्ली का), जबकि सर्वनामिक विशेषण सर्वनाम से बनते हैं।
संख्यावाचक विशेषण से अंतर: संख्यावाचक विशेषण संख्या या क्रम बताते हैं (जैसे: दो, पहला), परंतु सर्वनामिक विशेषण संज्ञा की पहचान या निश्चितता बताते हैं।
सर्वनामिक विशेषण के उदाहरण
विस्तृत उदाहरण सारणी
अतिरिक्त उदाहरण
इस पुस्तक को पढ़ो।
उस मकान में कौन रहता है?
किस दिशा में जाना है?
व्याकरण में सर्वनामिक विशेषण का महत्व
सर्वनामिक विशेषण हिंदी व्याकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:
स्पष्टता में वृद्धि: ये विशेषण वाक्य में संज्ञा की पहचान स्पष्ट करते हैं। जैसे - "वह लड़का आया" में 'वह' से पता चलता है कि किस लड़के की बात हो रही है।
संक्षिप्तता: सर्वनामिक विशेषण से वाक्य संक्षिप्त और सरल बनते हैं। लंबे विवरण की आवश्यकता नहीं होती।
प्रश्न और उत्तर में सहायक: प्रश्नवाचक सर्वनामिक विशेषण (कौन, क्या, कैसा) प्रश्न पूछने में सहायक होते हैं।
संबंध स्थापना: संबंधवाचक सर्वनामिक विशेषण (जो, सो) वाक्यों में संबंध स्थापित करते हैं और भाषा को प्रवाहमय बनाते हैं।
सामान्य गलतियाँ और सुधार के उपाय
विद्यार्थियों द्वारा की जाने वाली सामान्य त्रुटियाँ
गलती 1: सर्वनाम और सर्वनामिक विशेषण में भ्रम
गलत: "यह अच्छा है।" (यदि 'यह' किसी संज्ञा के बिना प्रयुक्त हो)
सही: "यह पुस्तक अच्छी है।" (यहाँ 'यह' सर्वनामिक विशेषण है)
गलती 2: एकवचन-बहुवचन में असंगति
गलत: "यह लड़के खेल रहे हैं।"
सही: "ये लड़के खेल रहे हैं।"
गलती 3: लिंग-भेद में गलती
गलत: "वह लड़की बहुत अच्छा है।"
सही: "वह लड़की बहुत अच्छी है।"
सुधार के उपाय
सर्वनामिक विशेषण हमेशा संज्ञा के साथ प्रयोग होते हैं, अकेले नहीं।
संज्ञा के लिंग, वचन के अनुसार विशेषण का प्रयोग करें।
नियमित अभ्यास और वाक्य-निर्माण से इन गलतियों से बचा जा सकता है।
अभ्यास प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देकर अपनी समझ जाँचें:
प्रश्न 1: रिक्त स्थान भरें:
______ पुस्तक मेरी है। (यह/वह)
______ व्यक्ति दरवाजे पर खड़ा है? (कौन/क्या)
प्रश्न 2: निम्नलिखित वाक्यों में सर्वनामिक विशेषण पहचानें:
उस बच्चे को बुलाओ।
कोई आदमी आया था।
ये फूल बहुत सुंदर हैं।
प्रश्न 3: सही या गलत बताएं:
"इस किताब को पढ़ो।" - इस वाक्य में 'इस' सर्वनामिक विशेषण है। (सही/गलत)
प्रश्न 4: निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में सर्वनामिक विशेषण के रूप में प्रयोग करें:
कैसा
जो
वैसा
श्न 5: अंतर स्पष्ट करें:
"यह अच्छा है।" और "यह लड़का अच्छा है।" - इन दोनों वाक्यों में 'यह' की व्याकरणिक भूमिका में क्या अंतर है?
सर्वनामिक विशेषण हिंदी व्याकरण का एक अनिवार्य तत्व है जो भाषा को स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाता है। ये विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं और संज्ञा की विशेषता बताने का कार्य करते हैं। सर्वनामिक विशेषण की परिभाषा, उदाहरण और प्रयोग को समझना हर विद्यार्थी के लिए आवश्यक है। दैनिक बोलचाल और लेखन में इनका सही प्रयोग भाषा कौशल को बेहतर बनाता है।
जब आप लिखते या बोलते हैं, तो सर्वनामिक विशेषण का सचेत प्रयोग करें। याद रखें कि जब सर्वनाम किसी संज्ञा के साथ आकर उसकी विशेषता बताए, तो वह सर्वनामिक विशेषण बन जाता है। नियमित अभ्यास से आप इस अवधारणा में पारंगत हो सकते हैं और अपनी हिंदी भाषा को अधिक शुद्ध और प्रभावी बना सकते हैं।
सर्वनामिक विशेषण क्या होता है, इसकी स्पष्ट समझ होने से आप व्याकरणिक रूप से शुद्ध वाक्य लिख और बोल सकेंगे। यह ज्ञान परीक्षाओं में भी अत्यंत उपयोगी है और आपकी भाषायी दक्षता को निखारता है।
