Karak in Hindi (कारक): परिभाषा, 8 भेद और उदाहरण | Hindi Grammar
कल्पना कीजिए कि आप अपने दोस्त को एक बहुत जरूरी मैसेज भेजते हैं:
इस वाक्य को पढ़कर आपका दोस्त कंफ्यूज हो जाएगा। क्या पुलिस ने चोर को पकड़ा? या चोर ने पुलिस को पकड़ लिया? अर्थ का अनर्थ हो गया न!
अब इसे सही तरीके से लिखते हैं:
यहाँ केवल दो छोटे शब्दों— 'ने' और 'को'— ने पूरे वाक्य को स्पष्ट कर दिया। व्याकरण की दुनिया में इन्हीं जादुई शब्दों को हम कारक (Karak) कहते हैं।
अक्सर छात्र स्कूल की परीक्षाओं से लेकर CTET, UPSC या SSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में 'करण' और 'अपादान' के बीच उलझ जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि "मैं बस से आया" और "मैं बस से गिर गया"— इन दोनों वाक्यों में 'से' का अर्थ बिल्कुल अलग है?
आज के इस विस्तृत गाइड (Ultimate Guide) में, हम कारक को रटेंगे नहीं, बल्कि समझेंगे। हम उन 'गुप्त नियमों' (Hidden Rules) की भी बात करेंगे जो सामान्य किताबों में नहीं मिलते।
विषय सूची (Table of Contents)
1. कारक: अर्थ, परिभाषा और परसर्ग
कारक का शाब्दिक अर्थ: 'कारक' शब्द 'कृ' धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है— 'करने वाला'। यानी जो वाक्य में क्रिया (Action) की भूमिका तय करता है।
परसर्ग (Post-position) क्या है?
कारकों को पहचानने के लिए हम जिन चिन्हों (ने, को, से, में, पर) का प्रयोग करते हैं, उन्हें व्याकरण की भाषा में 'विभक्ति' या 'परसर्ग' कहते हैं। 'पर' का अर्थ है 'बाद में'। चूँकि ये चिन्ह शब्दों के बाद लगते हैं (जैसे- राम ने), इसलिए इन्हें परसर्ग कहा जाता है।
2. कारक के 8 भेद (Memorization Chart)
हिंदी व्याकरण में कारक के 8 भेद माने जाते हैं। इन्हें याद करने के लिए नीचे दी गई तालिका (Table) को कंठस्थ कर लें।
| भेद (Type) | चिन्ह (Sign) | अर्थ/पहचान |
|---|---|---|
| 1. कर्ता | ने | काम करने वाला |
| 2. कर्म | को | जिस पर असर पड़े |
| 3. करण | से, के द्वारा | साधन (Tool/Medium) |
| 4. संप्रदान | को, के लिए | जिसके लिए कार्य हो / देना |
| 5. अपादान | से (अलग) | अलगाव, डर, तुलना |
| 6. संबंध | का, के, की | रिश्ता, अधिकार |
| 7. अधिकरण | में, पर | आधार (स्थान/समय) |
| 8. संबोधन | हे! अरे! | पुकारना |
3. आठों कारकों का विस्तृत वर्णन (Detailed Guide)
परीक्षाओं में सीधे प्रश्न नहीं आते। वहाँ वाक्य घुमाकर दिए जाते हैं। आइए, हर कारक की गहराइयों को समझें।
(1) कर्ता कारक (Nominative Case)
वाक्य में जो कार्य (Action) करता है, वही कर्ता है।
- पहचान: क्रिया के साथ 'कौन' या 'किसने' लगाने पर जो उत्तर मिले।
- विभक्ति प्रयोग: 'ने' का प्रयोग केवल भूतकाल (Past Tense) और सकर्मक क्रिया के साथ होता है।
उदाहरण:
- राम ने रावण को मारा। (भूतकाल)
- राम पुस्तक पढ़ता है। ('ने' नहीं लगा, क्योंकि यह वर्तमान काल है।)
- पक्षी उड़ते हैं। (अकर्मक क्रिया है, इसलिए 'ने' नहीं लगेगा।)
(2) कर्म कारक (Accusative Case)
जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़े।
- सजीव कर्म: सजीव के साथ 'को' लगता है। (पुलिस ने चोर को पकड़ा।)
- निर्जीव कर्म: निर्जीव के साथ 'को' प्रायः नहीं लगता। (मैंने दूध पिया। - यहाँ 'दूध को पिया' लिखना अजीब है।)
(3) करण कारक (Instrumental Case)
वह साधन (Tool) जिसकी मदद से काम पूरा हो।
- अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा।
- हम आँखों से देखते हैं।
- मन से पढ़ाई करो। (यहाँ 'मन' साधन है।)
जैसे: वह आँख से काना है। वह पैर से लंगड़ा है।
(4) संप्रदान कारक (Dative Case)
'संप्रदान' का अर्थ है देना। यह दो स्थितियों में होता है:
- कुछ देने के लिए: राजा ने भिखारी को कंबल दिए। (यहाँ 'को' का अर्थ 'के लिए' है।)
- क्रिया का उद्देश्य: वह पढ़ने के लिए स्कूल जाता है।
- नमस्कार/आदर: माताजी को प्रणाम। गुरुजी को नमस्कार।
(5) अपादान कारक (Ablative Case)
यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इसमें 'से' का प्रयोग 5 अलग-अलग भावों में होता है:
- अलगाव (Separation): स्टेशन से ट्रेन छूट गई।
- डर (Fear): मुझे साँप से डर लगता है।
- लज्जा (Shyness): वह ससुर से लजाती है।
- तुलना (Comparison): राम श्याम से होशियार है।
- सीखना (Learning): शिष्य गुरु से संगीत सीखता है।
(6) संबंध कारक (Genitive Case)
दो वस्तुओं या व्यक्तियों में संबंध बताने के लिए।
- यह मेरी (रा-रे-री) कार है।
- सोने की (का-के-की) अंगूठी।
(7) अधिकरण कारक (Locative Case)
क्रिया का आधार (Base)।
- स्थानवाचक: बंदर छत पर बैठा है।
- समयवाचक: परीक्षा मार्च में होगी।
(8) संबोधन कारक (Vocative Case)
किसी को पुकारने या सावधान करने के लिए।
- अरे भाई! मेरी बात सुनो।
- हे ईश्वर! यह क्या हो गया।
4. विभक्ति लोप: जब चिन्ह दिखाई न दें (Hidden Signs)
यह एक एडवांस टॉपिक है। कभी-कभी वाक्यों में कारक चिन्ह (Signs) गायब हो जाते हैं, इसे 'विभक्ति लोप' कहते हैं। छात्रों को इसे समझना बहुत जरूरी है।
उदाहरण 1 (कर्म कारक का लोप):
- वाक्य: "मुझे पानी दो।"
- विश्लेषण: यहाँ असली वाक्य है "मुझे पानी (को) दो।" लेकिन हम 'को' नहीं बोलते। फिर भी यहाँ कर्म कारक ही है।
उदाहरण 2 (अधिकरण का लोप):
- वाक्य: "वह अगले साल आएगा।"
- विश्लेषण: असली वाक्य है "वह अगले साल (में) आएगा।" यहाँ समय बताया गया है, इसलिए अधिकरण कारक है, भले ही 'में' नहीं लिखा हो।
5. करण vs अपादान और कर्म vs संप्रदान (Confusion Clear)
(A) करण और अपादान में अंतर:
| करण कारक (से) | अपादान कारक (से) |
|---|---|
| साधन / जुड़ना | अलग होना / दूरी |
| मैं स्कूटर से घर आया। (स्कूटर साथ आया) |
मैं स्कूटर से गिर पड़ा। (स्कूटर से अलग हो गया) |
(B) कर्म और संप्रदान में अंतर:
हाँ: तो कर्म कारक (जैसे- धोबी को कपड़े देना)।
नहीं: तो संप्रदान कारक (जैसे- भिखारी को कपड़े देना)।
6. टेस्ट क्विज (Quiz Time)
नीचे दिए गए प्रश्नों पर क्लिक करें और सही उत्तर देखें।
1. "सीता गीता से सुंदर है" - इसमें कारक बताएँ।
उत्तर: अपादान कारक। (क्योंकि यहाँ तुलना की जा रही है।)
2. "शिकारी ने शेर को मारा" - 'शेर को' में कौन सा कारक है?
उत्तर: कर्म कारक। (क्रिया का प्रभाव शेर पर पड़ रहा है।)
3. "वह अपने-आप चला जाएगा" - इसमें कौन सा कारक लुप्त है?
उत्तर: कर्ता कारक। (वह = कर्ता। यहाँ 'ने' लुप्त है क्योंकि यह भविष्य काल है।)
निष्कर्ष (Conclusion)
कारक (Karak) हिंदी भाषा की रीढ़ है। यदि आप 'ने', 'को' और 'से' का सही प्रयोग समझ गए, तो आपकी भाषा न केवल शुद्ध होगी, बल्कि प्रभावशाली भी बनेगी।
हमें उम्मीद है कि इस लेख ने आपके सारे डाउट्स क्लियर कर दिए होंगे। अगर अब भी कोई प्रश्न है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें। Scribble Hindi के साथ बने रहें!

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